Edgy and Incorrigible random rants
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे, जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी..
मैं फकीरों से भी सौदा करता हूँ अक्सर जो एक रुपये में लाख दुआएं देता है..
"मत बताओ कि कब घर से निकलोगे तुम , चाँद छुप जायेगा हम समझ जायेगें...!"